जमीयत ने दावा किया कि ‘छद्म राष्ट्रवाद’ के नाम पर राष्ट्र की एकता को तोड़ा जा रहा है जो न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक है
उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के देवबंद में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के सालाना दो दिवसीय मुंतजिमा (प्रबंधक समिति) के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें ‘केंद्र सरकार से उन तत्वों और ऐसी गतिविधियों पर तुरंत रोक लगाने’ का आग्रह किया गया है जो लोकतंत्र, न्यायप्रियता और नागरिकों के बीच समानता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं और इस्लाम तथा मुसलमानों के प्रति कटुता फैलाती हैं
अधिवेशन में नौ अलग-अलग प्रस्ताव पारित किए गए जिनमें इस्लामोफोबिया, देश के हालात, शिक्षा, इजराइल फलस्तीन मसला समेत अन्य शामिल हैं
अधिवेशन में ‘इस्लामोफोबिया’ को लेकर भी प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि ‘इस्लामोफोबिया’ सिर्फ धर्म के नाम पर शत्रुता ही नहीं, बल्कि इस्लाम के खिलाफ भय और नफरत को दिल और दिमाग पर हावी करने की मुहिम है
देश में हाल में घटी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं और ज्ञानवापी और मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद समेत अन्य धार्मिक स्थानों को लेकर हुए विवादों को देखते हुए जमीयत के इस सम्मेलन को अहम माना जा रहा है. सम्मेलन में ज्ञानवापी समेत अन्य धार्मिक मुद्दों से निपटने को लेकर रणनीति तय की जाएगी
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