Header Ads Widget

Breaking News

10/recent/ticker-posts

Sant Kabir Nagar: माहे रमजान का रोजा नैतिक प्रशिक्षण और अनुशासन की सीख देता है, बरकत वाले महीना की आमद पर तैयारी जोरों पर

सेमरियावां।संतकबीरनगर: चंद्र दर्शन के हिसाब से 12 मार्च से शुरू होने वाले माहे रमजान की आमद पर चारों तरफ तैयारी शुरू हो गई है। बरकत,इबादत वाले महीना की घर से लेकर मस्जिद गांव,गली मुहल्ले तक साफ सफाई के इंतजाम किए जा रहे हैं।

मस्जिदों में नमाजियों की सुविधा हेतु लाइट,पंखे,बिजली,इन्वर्टर,जनरेटर,चटाई, दरी,कालीन,पानी की व्यवस्था की जा रही है।

गली मुहल्ले घर रास्तों की साफ सफाई जोरों पर है।चौराहों पर फल फ्रूट ,किराना कपड़े की दुकानें सजने लगी है।मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ बढ़ने लगी है।बूढ़े बच्चे जवान महिला पुरुष सभी माहे रमजान की आमद की  खुशी और इसकी तैयारी में  व्यस्त हैं। माहे रमजान को सभी महीनों का सरदार,इबादत और बरकत वाला महीना कहा जाता है।

पवित्र कुरान और  हदीस में रमजानुल मुबारक महीने की बहुत सी विशेषताएं बताई गई हैं।


रोजे का  उद्देश्य  हमारे अंदर अल्लाह का खौफ पैदा हो।गुनाहों से बचने ,तोबा करने,नैतिकता और अनुशासन की सीख मिलती है। रोजेदारों में धैर्य, सहनशीलता,  सहानुभूति , मानव प्रेम की भावना पैदा होती है।

रोजा का ये भी उद्देश्य है कि रोजेदार झूठ, गीबत,चुगली, हसद, बुराई और धोखे जैसी नकारात्मक क्रिया कलाप से बचे।इस्लाम धर्म की शिक्षा पर अमल करे,अनुशासित जीवन व्यतीत करे।

बहुत से ऐसे रोजेदार होते हैं जिन्हें रोजे से भूख प्यास के सिवा कुछ नहीं मिलता और कुछ ऐसे भी होते हैं जो कई रात जागते हैं और उन्हें इस जागने के अलावा कुछ नहीं मिलता । मात्र भूखा-प्यासा रहना इबादत नही है। 
 रोजा का मकसद  इस्लामी व्यवस्था और शिक्षा अनुसार अल्लाह के लिए मुसलमान इस निश्चित महीने के भीतर एक साथ उपवास करते हैं।अल्लाह की दिन रात इबादत करते हैं।यह एकता और एकजुटता, आपसी भाईचारा को बढ़ावा देता है।  एक दूसरे के साथ सहानुभूति और सद्भाव की भावनाओं  को बढ़ावा देता है।
इससे सामूहिकता ,ताकत और स्थिरता प्राप्त करती है।

रोजा आत्मा में सुधार, दिल को शुद्ध करने, कर्मों को सुधारने, चरित्र निर्माण और नैतिक अनुशासन के निर्माण का सबसे अच्छा साधन है।

इस संबंध में हदीस शरीफ़ में विशेष मार्गदर्शन है   कि जब तुम्हारे बीच उपवास का दिन हो, तो वह व्यर्थ बात न करे और शोर न करे।  यदि कोई उसका अपमान करे, या उससे लड़े, तो वह कह दे कि मैं  रोजेदार हूँ।

माहे रमजान का रोजा एक निश्चित अवधि के लिए भोजन,पेय और इच्छाओं को त्यागने का नाम नहीं है,अपितु व्यक्ति को बुरे व्यवहार  विचार को छोड़नकर ज्यादा से ज्यादा इबादत करना,नमाज की पाबंदी,नेक अच्छे कार्य करना ,जकात,खैरात दान देना,गुनाहों से तोबा करना चाहिए ।लड़ाई, झगड़े ,बाद विवाद, किसी भी मामले में शोर और अतिवाद से बचना चाहिए। 
  रोज़ा केवल एक औपचारिक कार्य नहीं है। बल्कि इसका का उद्देश्य  व्यक्ति में आत्म शुद्धता गंभीरता, धीरज,  धैर्य और दृढ़ता पैदा करना है। यह उसके विचारों, आंखों،,और उसके दिल  दिमाग को बदल देता है। रोजा रखने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व  दूसरों के लिए  आदर्श बन जाएगा।
 व्यक्ति को गंभीर, गरिमापूर्ण और प्रफुल्लित बनाता है।वह समाज का एक शांतदूत बन जाता है और वह किसी के लिए परेशानी का स्रोत नहीं बनता ।

By: जफीर करखी, सेमरियावां संत कबीर नगर

Post a Comment

0 Comments