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Bihar: एक माह में डेढ़ लाख खर्च, अब बिना सर्जरी किये मरीज को कर दिया डिस्चार्ज

पटना । पूर्णिया के दिपरा बाजार निवासी 13 वर्षीय नेहा गत एक माह से पीएमसीएच में भर्ती थी। तेज रफ्तार वाहन की ठोकर से उसके पैर और सिर में गंभीर चोट आई थी। सर्जरी के इंतजार में बाहर से महंगी दवाएं और एक्स-रे कराने में स्वजनों के करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हो गए थे। स्वजनों को उम्मीद थी कि इतने दिन हो गए हैं अब उनकी बेटी का ऑपरेशन हो जाएगा, लेकिन मंगलवार को राउंड पर आए डॉक्टर साहब ने एक माह की दवा लिखकर डिस्चार्ज कर दिया। डॉक्टरों के इस रवैए से खून के आंसू रो रहे स्वजनों का दर्द ट्राली वालों ने और बढ़ा दिया। वे रोगी को बाहर तक ले जाने के लिए पांच सौ रुपये मांग रहे थे। हार कर परिजनों ने बच्ची के टूटे पांव में दर्द की अनदेखी करते हुए चादर को स्ट्रेचर बनाया और राजेंद्र सर्जिकल ब्लाक परिसर में जाकर जमीन पर लिटा दिया।

एंबुलेंस के किराए के लिए वे लोग अब खुले आसमान के नीचे घरवालों के पैसे लेकर आने का इंतजार कर रहे हैं।

नहीं जागी किसी कि इंसानियत :

मां रंजू देवी और भाई अवधेश कुमार जब नेहा को चादर में डालकर ले जा रहे थे तब कई नर्सो व अस्पतालकर्मियों ने उन्हें देखा। पांव में प्लास्टर और सिर में गंभीर चोट देखकर भी किसी ने उन्हें ट्राली या स्ट्रेचर से बाहर तक भिजवाने का कष्ट नहीं किया।

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नर्सिग होम में खर्च हुए थे दो लाख : भाई अवधेश ने बताया कि 26 नवंबर को वाहन की टक्कर से गंभीर रूप घायल नेहा को स्वजन पहले पूर्णिया सदर अस्पताल ले गए थे। वहां भर्ती नहीं होने पर एक नर्सिग होम ले गए। उसने सिर में पट्टी और पैर में प्लास्टर कर आठ दिन में एक लाख 90 हजार रुपये वसूले और फिर पीएमसीएच रेफर कर दिया। पांच दिसंबर को पीएमसीएच में भर्ती कराया गया। 28 दिसंबर तक यहां भी उनके डेढ़ लाख रुपये खर्च हो गए। स्वजन का आरोप है कि अस्पताल की ओर से सिर्फ स्लाइन मिला और इंजेक्शन दिए गए बाकी सभी दवाएं वे बाहर से लाए। नौ सौ रुपये का एक्स-रे भी बाहर से करवाया गया। अब इतने पैसे नहीं बचे हैं कि बहन को घर ले जाएं इसलिए घर से स्वजन के आने का इंतजार कर रहे हैं।

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डेढ़ साल की सिमरन की तीन

दिन बाद भी न हुई जांच

फोटो : अजित भैया

जागरण संवाददाता, पटना : पीएमसीएच के ट्रामा वार्ड में भर्ती डेढ़ वर्षीय सिमरन दस दिन पहले असम में जेसीबी के नीचे आकर गंभीर रूप से घायल हो गई थी। वहां के अस्पताल में बुरी तरह से फटी जांघ की सिलाई आदि की गई लेकिन हालत बिगड़ने पर पीएमसीएच रेफर कर दिया। गरीब माता-पिता को पता नहीं था कि यहां

हड़ताल है। रविवार को जब वे पहुंचे तो डॉक्टरों ने एकबारगी भर्ती करने से मना कर दिया। कंट्रोल रूम के हस्तक्षेप पर बच्ची भर्ती हो गई। भर्ती करते समय सिर्फ एक बार डॉक्टर ने देखा और खून की जांच लिख कर सर्जरी की बात कही। मंगलवार शाम तक तीसरा दिन था, लेकिन सर्जरी की बात तो दूर अभी तक खून की जांच तक नहीं कराई गई। पिता सूरज चौहान ने बताया कि खून की जांच या सर्जरी कब होगी पूछने पर कहा जाता है कि डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जान बचानी है बच्ची की तो दिल्ली या मुंबई ले जाओ।

सड़क पर खेल रही सिमरन के

पैर पर चढ़ गई थी जेसीबी :

बाढ़ के लेमुआबाद चिंतामन चक निवासी पिता सूरज चौहान असम में काम करते हैं और सपरिवार वहीं रहते हैं। सूरज ने बताया कि पिछले शुक्रवार को असम के उदयपुर में सड़क पर खेलने के दौरान सिमरन के पैर पर जेसीबी चढ़ गई थी। इससे उसकी जांघ क्षतिग्रस्त हो गई। वहां के अस्पताल में भर्ती कराया पर स्टिचिंग आदि करके उन्होंने पीएमसीएच रेफर कर दिया। अब यहां इलाज के बजाय डॉक्टर गंभीर हालत बता जान बचाने के लिए दिल्ली-मुंबई ले जाने की बात कह रहे हैं।

ठीक से सिलाई नहीं होने से सड़ने लगा पैर : पिता के अनुसार सिमरन की जांघ की असम में सिलाई की गई थी। ठीक से नहीं होने के कारण पैर सड़ना शुरू हो गया है, इसीलिए वहां से पीएमसीएच भेजा गया था। लेकिन यहां भी सिर्फ ड्रेसिंग की जा रही है और इंजेक्शन दिया जा रहा है। डॉक्टर आते हैं और देखकर चले जाते हैं।

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