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कौन है Bilkis Bano और क्या है उनकी दर्द भरी पूरी कहानी?

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) से बिलकिस बानो (Bilkis Bano) को लेकर चर्चा हो रही है. बिलकिस बानो गुजरात (Gujarat) की एक गैंगरेप (Gang Rape) पीड़िता हैं. 2002 गुजरात दंगों (2002 Gujarat Riots) के दौरान बिलकिस बानों के साथ गैंगरेप हुआ था. यही नहीं, उनके परिवार के साथ सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. अब बिलकिस बानो का नाम अचानक से चर्चा में इसलिए आ गया है क्योंकि 15 अगस्त को उनके साथ दरिंदगी करने और परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने के 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया. 

बिलकिस बानो के दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली थी. 14 साल पूरे होने पर उन्हें गोधरा कारागार से से रिहा कर दिया गया है. दोषियों के नाम जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना हैं.

2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो पांच महीने की गर्भवती थीं. बिलकिस बानो मूल रूप से गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं. दंगों के दौरान बिलकिस बानो अपनी तीन साल बेटी सालेहा और परिवार के 15 सदस्यों के साथ गांव से भागकर सुरक्षित स्थान पर जा रही थी. तीन मार्च 2002 को बिलकिस बानो परिवार के साथ छप्परबाड़ गांव पहुंचीं और खेतों में छिप गईं. मामले में दायर चार्जशीट में कहा गया था कि 20-30 लोगों ने बिलकिस बानो और उनके परिवार पर लाठियों और जंजीरों से हमला कर दिया था. बिलकिस बानो और चार महिलाओं के साथ मारपीट कर उनके साथ रेप किया गया था. बिलकिस की मां के साथ भी रेप किया गया. बिलकिस की बेटी समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में देश की सुप्रीम कोर्ट ने सख़्ती दिखाई। अदालत ने क्लोज़र रिपोर्ट खारिज कर सीबाआई को नय सिरे से जांच का आदेश दिया। फिर बाद में सीबीआई ने चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया जिनमें 5 पुलिसकर्मी समेत 2 डॉक्टर शामिल थे। इन लोगों पर अभियुक्तों को बचाने और सबूतों को मिटाने और छेड़छाड़ का आरोप लगा था।

सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों ने पोस्टपार्टम रिपोर्ट को इस ढंग से बनया था कि अभियुक्तों को बचाया जा सके। सीबीआई ने दोबारा से शवों को क़ब्रों से बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम करवाया। सीबीआई ने बताया कि मारे गए लोगों के सिर धड़ से अलग कर दिए गए थे ताकि उनकी पहचान की जा सके।

इंसाफ की क़ानूनी लड़ाई का दौर हुआ शुरू
देश और दुनियाभर की मीडिया में बिलकिस मामला चर्चा का विषय बन गया। बिलकिस ने क़ानूनी लड़ाई लड़ना शुरू ही किया था कि उनको जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं। इन धमकियों से परेशान बिलकिस को कम से कम 20 बार अपना घर बदलना पड़ा। इंसाफं में देरी और धमकियों से डर बिलकिस ने सुप्रीम कोर्ट में केस को गुजरात के बाहर करने की अपील की। बाद में केस आगे की सुनवाई के लिय मुंबई शिफ्ट कर दिया गया।

बिलकिस बानो केस में सबसे अहम मोड़ आया सन 2008 जब सीबीआई की विषेश अदालत ने गर्भवती महिला के रेप, हत्या के जिर्म में 11 लोगों दोषी क़रार दिया। 7 को सबूत के आभाव में रिहा कर गया जबकि एक आरोपी की सुनवाई के समय मौत हो गई थी।

सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिलकिस बानो के बलात्कार जसवंत नाई, गोविंद नाई और नरेश कुमार मोढ़डिया ने किया था। अन्य लोगों ने परिवार के सदस्यों की हत्या को अंजाम दिया। फिर मई 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 लोगों की आजीवन कैद की सज़ा को बरकरार रखा था।

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को 50 लाख रूपये,घर और एक सरकारी नौकरी मुआवज़े के रूप में दिए जाने का आदेश दिया था। गुजरात सरकार ने वकील ने कोर्ट में इसका विरोध कर इस मुआवज़े को बहुत अधिक बताते हुए ख़ारिज करने की मांग की थी। गुजरात सरकार ने बिलकिस को 5 लाख रूपये का मुआवज़ा दिया था।

उम्र कैद़ की सज़ा काट रहे दोषियों को क्यों छोड़ दिया ?
साल 2022, 15 अगस्त के रोज़ बिलकिस बानो मामला फिर चर्चा में आ गया। गुजरात की गोधरा जेल में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे दोषियों 11 दोषियों को इस दिन रिहा कर दिया गया। ये सभी अपराधी बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे थे। रिहाई के बाद अराराधियो का हर तरफ़ फूल-मालाओं से स्वागत किया गया। गोधरा जेल के बाद उनका माला डालकर सम्मान किया गया।

बिलकिस बानो मामले में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों में से एक दोषी राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में सज़ा माफ़ी के लिय याचिका डाली थी। जिसके बाद अदालत से गुजरात सरकार से इसपर फैसला लेने को कहा। सरकार ने इस मामले को देखने के लिय एक कमेटी गठित कर थी। कमेटी ने माफी याचिका स्वीकार कर ली। इसके बाद सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया।

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