नवीन मंडी की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी। इसके निर्माण पर करीब तीन करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुए थे। निर्माण के बाद मंडी काफी दिनों तक बंद रही। क्योंकि पुरानी सब्जी मंडी से ही व्यापारी कारोबार करते थे। बाद में प्रशासन ने गल्ला के थोक व फुटकर और सब्जी के थोक व्यापारियों को बुलाया और दुकानें लगाने के लिए राजी किया।
इसके बाद टेंडर निकाल कर दुकानें आवंटित की गईं। उस समय मंडी के अधिकारियों ने व्यापारियों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया था। वर्तमान में मंडी में पैदल चलना दूभर हो गया है। क्योंकि परिसर में बनी सड़क पर जगह-जगह टूटी गई है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बारिश होने पर इन गड्ढों में पानी भर जाता है। मंडी में चारों तरफ गंदगी है।
व्यापारियों के लिए बने शौचालय में साफ-सफाई नहीं होती। यहां कारोबार करने वाले माशा अल्ला, जुगल किशोर, रामजीत अनिल कुमार, चैतू आदि ने बताया कि बरसात के मौसम में परिसर में जलभराव हो जाता है। मच्छरों के प्रकोप के साथ सांप भी निकलते रहते हैं। कई बार चोरी भी हो चुकी है।
वहीं मंडी परिषद सचिव सेवाराम वर्मा ने कहा कि व्यापारियों की समस्याओं का समाधान जल्द कर लिया जाएगा और साफ सफाई के भी निर्देश दे दिए गये हैं।
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