Header Ads Widget

Breaking News

10/recent/ticker-posts

Musalman सियासी तौर पर कमज़ोर क्यों है? पढ़िए मोहम्मद नसीम का ये खास लेख

भारतीय मुसलमान आये दिन किसी ना किसी वजह से चर्चाओं में बना रहता है लेकिन इसके बावजूद सियासी तौर पर भारतीय मुसलमान अपाहिज है जिसे सेक्युलर नामक पार्टियों के सहारे चलना पङ रहा है और आज़ादी के बाद से अब तक इस समाज का अपना कोई सियासी रहनुमा नहीं हुआ या यूं कहे इस क़ौम ने किसी को अपना रहनुमा तस्लीम ही नहीं किया।

मुसलमानों को सियासी तौर पर अपाहिज बनाने में मुस्लिम धर्मगुरूओं ने भी अहम‌ किरदार अदा किया है जिसकी वजह से आज मुस्लिम समाज फुटबॉल की तरह इधर से उधर बस भटक रहा है लेकिन वो अपना सियासी वजूद कायम करने में नाकाम रहा है।

मुस्लिम धर्मगुरूओं ने मुस्लिम कौम को सिर्फ दीन के रास्ते पर चलने की दावत दी।


रोज़ा, नमाज़, ज़कात और हज तक सीमित रखना चाहा जिसकी वजह से मुसलमानों में सियासी बेदारी नहीं आ पायी और नतीजा ये रहा कि मुस्लिम कौम कभी सपा, बसपा, कांग्रेस तो कभी किसी सियासी पार्टी में अपना रहनुमा तलाश करती रही।

हमें हमारे धर्मगुरूओं ने कभी ये नहीं कहा कि इस्लाम के साथ साथ सियासत में भी हिस्सेदारी करना ज़रूरी है क्योंकि बिना सिस्टम का हिस्सा हुये सिस्टम को बदलना मुम्किन नहीं।

आज हम‌ खुद पर हो रहे जुल्म की दुहाई देते हैं लेकिन इसका उपाय क्या है इस पर कोई मुस्लिम तंजीम काम क्यों नहीं करना चाहती?

उपाय ये नहीं कि हमारे घर जलने के बाद हमें मुवावजा दिला दिया जाये।

बल्कि कोशिश ये होनी चाहिए कि कोई घर जलाने की हिम्मत ही न कर सके और ऐसा तभी मुम्किन हो सकता है जब आप इस सिस्टम का हिस्सा होंगे।

जितनी भी देश की बङी बङी मुस्लिम तंजीमें हैं सबने खुद को सियासत से दूर कर लिया जिसका खामियाजा आज का मुसलमान भुगत रहा है और आने वाली नस्लों के लिये ये और भी खतरनाक साबित होगा इसलिए भलाई इसी में है कि खुद को हर तबके में चाहे मीडिया हो सियासत हो डॉ॰ हो इंजीनियर हो किसी भी तरह से इन सब तबकों में खुद को लाईये तभी आने वाला मुस्तकबिल रोशन हो सकता है वर्ना तारीकी हमारा मुकद्दर होगी।

लेख: मोहम्मद नसीम (सम्पादक: UP Times News)

Post a Comment

0 Comments