एसपी हेमराज मीणा ने प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि जालसाजों की सारी अर्जित संपत्ति जब्त कर गैंगस्टर के तहत इन सभी पर कार्रवाई की जाएगी।
एसपी के अनुसार ये लोग एईपीएस प्रणाली (आधार आधारित भुगतान प्रणाली) के माध्यम से लोगों के खाते से धीरे-धीरे रकम निकलते थे। गिरोह के कुछ साथी पिछले दिनों गौर में पकड़े गए थे।
एक जुलाई को प्रेमचंद्र निवासी आवासीय परिसर बाढ़ कार्य खंड प्रथम ने थाना कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके दो खाते से विभिन्न तिथियों में दस-दस हजार करके 60 हजार रुपये निकल गए। इस मामले में केस दर्ज कर पुलिस जांच कर रही थी।
अभियुक्तों ने बताया गया कि वे लोग सबसे पहले फर्जी आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड व मोबाइल नंबर पर विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाकर एटीएम कार्ड प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद जिस शख्स के खाते से रकम निकालनी होती थी उसके अंगुठे की डुप्लीकेट रबर मुहर तैयार कराते थे। आधार कार्ड व पैनकार्ड का प्रयोग करके उनके नाम के सामने एईपीएस ट्रांजेक्शन एप्लीकेशन पर उनके नाम से रजिस्ट्रेशन कर देते थे। उन्हीं के नाम की फर्जी एजेंट आईडी बनाकर इसके सहारे आधार कार्ड और डुप्लीकेट अंगुठे के क्लोन का प्रयोग कर रुपये निकाल लेते थे।
एक जुलाई को प्रेमचंद्र निवासी आवासीय परिसर बाढ़ कार्य खंड प्रथम ने थाना कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके दो खाते से विभिन्न तिथियों में दस-दस हजार करके 60 हजार रुपये निकल गए। इस मामले में केस दर्ज कर पुलिस जांच कर रही थी।
फर्जी खाते से करते थे गोलमाल इसी बीच मुखबिर की सूचना पर प्रभारी निरीक्षक कोतवाली रामपाल यादव, प्रभारी साइबर सेल मजहर खान, प्रभारी सर्विलांस सेल जितेन्द्र सिंह की संयुक्त टीम ने बड़ेबन थाना कोतवाली के एक रेस्टारेंट से रविवार रात गैंग के सरगना जितेंद्र चौहान उर्फ जीतू निवासी बारीगांव थाना सिकरीगंज, आकाश प्रधान निवासी मोहद्दीपुर थाना कैंट जिला-गोरखपुर और भूपेंद्र कुमार चौधरी उर्फ गुड्डू निवासी एकला मिश्रौलिया थाना रुद्रपुर (देवरिया) हाल निवासी जंगल तुलसीपुर बिछिया थाना शाहपुर जनपद गोरखपुर को गिरफ्तार कर लिया।
अभियुक्तों ने बताया गया कि वे लोग सबसे पहले फर्जी आईडी, आधार कार्ड, पैन कार्ड व मोबाइल नंबर पर विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाकर एटीएम कार्ड प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद जिस शख्स के खाते से रकम निकालनी होती थी उसके अंगुठे की डुप्लीकेट रबर मुहर तैयार कराते थे। आधार कार्ड व पैनकार्ड का प्रयोग करके उनके नाम के सामने एईपीएस ट्रांजेक्शन एप्लीकेशन पर उनके नाम से रजिस्ट्रेशन कर देते थे। उन्हीं के नाम की फर्जी एजेंट आईडी बनाकर इसके सहारे आधार कार्ड और डुप्लीकेट अंगुठे के क्लोन का प्रयोग कर रुपये निकाल लेते थे।
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