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Online Help के बढ़ते मामले और धोखे से बचने के लिए एक मशवरा

अक्सर Facebook, whatsapp, instagram पर हमलोग जरूरतमंदों की मदद के लिए पोस्ट देखते रहते हैं और वहीं पर उनका अकाउंट नम्बर gpay फोन पे Paytm नंबर लिखा रहता है, और लोग उसमे पैसे भी देते रहते हैं वो पोस्ट कहां तक शेयर हो रही है या कितने लोगों ने मदद की है उसके बारे में कोई जानकारी भी नहीं रहती है, और जिन लोगों ने या जिस तंजीम ने उनकी मदद करवा दी है उसका भी रिकॉर्ड online कहीं नहीं रहता है।


अक्सर हमलोग पैसे मांगने वालों की fake post देखते रहते हैं और लोग उनकी मदद भी करते रहते हैं,
ये फर्जी मदद मांगने वाले लोग सोशल मीडिया पर उन नए लोगों की तलाश में रहते हैं जो थोड़ा कौम मिल्लत के फिक्रमंद होते हैं जिनके फॉलोअर बड़ी तादाद में होते हैं।

 ये लोग उनके इनबॉक्स में जाकर गिड़गिड़ाकर काफी मिन्नते करने के बाद अगले को पोस्ट लगाने के लिए राजी कर लेते हैं या अगला अपनी जान छुड़ाने के लिए इनकी पोस्ट लगा देता है, इसी तरह ये लोग हर महीने नए नए सोशल एक्टिविस्ट को ढूंढकर घर बैठे/लेटे हर महीने के अपने खर्चे का जुगाड कर लेते हैं।

Online कब कहां किसकी मदद हो रही है, लोग बाग ज्यादा ध्यान नहीं देते जबतक कि मामला ज्यादा हाईलाइट न हो और दूसरा हमारी याद दास्त इतनी अच्छी हो चुकी है net use करते करते कि हम में से ज्यादातर लोगों को याद ही नहीं रहता कब कहां क्या हुआ था।

हमारे पास अक्सर इलाज के लिए मामले आते रहते हैं हम सबसे पहले ये कोशिश करते हैं कि अगले का इलाज फ्री में हो जाए या अपने जानने वाले किसी हॉस्पिटल में सस्ते में हो जाए, लोग अक्सर लुटेरे डॉक्टरों के संपर्क में आने के बाद लुटने के बाद हमसे संपर्क करते हैं।

अभी हफ्ते भर पर पहले 3 केस आए थे एक पैर के ऑपरेशन का था और दूसरा, तीसरा केस कैंसर का था, पैर वाले मामले में  हमने ऑपरेशन खर्च आधा करवा दिया था और कैंसर वाले मामले में 80% खर्च कम करवा दिए थे, कैंसर वाले मामले में दोनो लोग तकरीबन 3 लाख मांग रहे थे और पैर वाले में 80 हजार रुपए।

हमारे साथ कुछ अच्छे डॉक्टर्स जुड़े हुए हैं उनके जरिए हम अक्सर लोगों को सही सलाह व मदद दिलवा देते हैं, अभी यही मामला कहीं और गया होता तो 3 से चार लाख रुपए कौम के लोगों का फ्री में चला जाता।

Imp. जुलाई के फर्स्ट वीक से एक पोस्ट अबतक सोशल मीडिया पर कई जगह देखने को मिली इनके कान का पर्दा फट गया था तो इन्हे इलाज के लिए और घर के खर्चे के लिए पैसों की जरूरत थी, ये इंदौर के रहने वाले थे, मेरे पास भी ये मामला आया था but वेरिफिकेशन के लिए hold पर था।


जिस दिन ये मामला आया उसके 2 दिन बाद ही पता चला कि कुछ सोशल एक्टिविस्ट के द्वारा इनको पैसे दे दिए गए हैं, उसके बाद भी आजतक इनका कान के इलाज का मदद मांगने का ये सिलसिला जारी है।

सोशल मीडिया पर कौम के करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं, हम सबकी प्रोफाइल पर लिमिटेड लोग जुड़े होते हैं और हमलोग बहुत ज्यादा लोगों की पोस्ट भी नही देख पाते ब मुश्किल अपनी fb ya Twitter प्रोफाइल की 30 से 70 पोस्ट से ज्यादा अधिकतर लोग नही देखते होंगे अब ऐसे में कैसे पता चलेगा कि कौन कहां कब online मदद मांग रहा है।

 online मदद का एक सेंट्रल सिस्टम बनाने की जरूरत है ताकि वेरिफिकेशन के बाद कौम के लोग उसी help gateway से लोगों को पैसे दें और उनका रिकॉर्ड भी वहां रहे ताकि वो same problem के लिए अलग अलग लोगों से online वसूली न कर सकें, अगर आप is help gateway को अपना लेंगे तो आप हर महीने करोड़ों रुपए के ऑनलाइन मदद के फर्जीवाड़े को रोक पाएंगे और सही जरूरतमंदों को वक्त पर मदद दिलवा पाएंगे।

Lockdown के दौरान अधिकतर गांव, मोहल्ले में 10 से 20 लोग राशन बांटने का काम कर रहे थे, और अधिकतर राशन लेने वाले इन लोगों के पास से राशन ले जाकर अपने घर में स्टॉक लगा रहे थे, किसी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं था कि मोहल्ले में किसकी मदद हुई है किसकी नही अगर ये सभी राशन बांटने वाले लोग अपना राशन एक सेंट्रल प्वाइंट मस्जिद से डिस्ट्रीब्यूट करते और वहां पर नाम पता लिखकर रिकॉर्ड रखने का निज़ाम होता तो ये फर्जीवाड़ा रुक जाता और सही जरूरतमंदों की मदद हो जाती।

इसी तरह online हजारों लोग मदद की अपील रोजाना करते हैं जिसका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है और अधिकतर फर्जी लोग अपनी फर्जी कहानी सुनाकर कौम के जज्बाती लोगों से पैसे वसूलकर निकल जाते हैं।

इस समस्या से निपटने के लिए हमने एक वेबपोर्टल बनाया है जहां वेरिफिकेशन के बाद जरूरतमंदों के खाते में डायरेक्ट पैसे जाते हैं और जितना जरूरत रहती है उतना उनके खाते में जाने के बाद वेबसाइट का उनका डोनेशन का लिंक बंद हो जाता है, इसका रिकॉर्ड भी रहता है, अगर सभी लोग इस वेबसाइट के जरिए से लोगों की online मदद करेंगे तो हम सब मिलकर फर्जी लोगों को गलत काम करने से रोक पाएंगे।


Contact on WhatsApp - 8687803380

नोट: ये पोस्ट उम्मत हेल्पलाइन सोशल डेस्क द्वारा प्रसारित की गयी है इसे यूपी टाइम्स न्यूज ने संपादित नहीं किया है।



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