यूके हाई कोर्ट में कंपनी के खिलाफ 51 केस दर्ज हैं. पीड़ित परिवार वाले कंपनी से करीब 1000 करोड़ रुपये (100 मिलियन पाउंड) मुआवजे की मांग कर रहे हैं. भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई है.
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने कोर्ट के दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट तैयार की है. इसके मुताबिक, एस्ट्राजेनेका के खिलाफ पहला केस जेमी स्कॉट नाम के व्यक्ति ने दर्ज करवाया था. अप्रैल 2021 में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद वे स्थायी रूप से ब्रेन इंजरी का शिकार हो गए. वैक्सीन लेने के बाद वो काम नहीं कर पाए. जेमी की हालत ऐसी थी कि अस्पताल ने उस दौरान उनकी पत्नी को तीन बार कॉल करके बताया कि उनके पति मरने वाले हैं.
जेमी को TTS (थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिन्ड्रोम) नाम का गंभीर साइड इफेक्ट हुआ. इससे लोगों के दिमाग में खून के थक्के (Blood clots) बन जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी में ही कोर्ट में डॉक्यूमेंट जमा किया. इसी में बताया कि इसकी कोविड वैक्सीन से कुछ मामलों में TTS हो सकता है. यूके हाई कोर्ट में कंपनी के खिलाफ 51 केस दर्ज हैं. पीड़ित परिवार वाले कंपनी से करीब 1000 करोड़ रुपये (100 मिलियन पाउंड) मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
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